विश्व मानवाधिकार परिषद का विधान नियम विनियम एवं सामान्य जानकारियाँ
(1)विश्व मानवाधिकारी परिषद् :मानव अधिकार/सामाजिक संगठन-है जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है कि यह संगठन मानव अधिकार के प्रचार-प्रसार/मानव अधिकार हनन मामले की रोक-थाम के लिये सरकार की मदद से आम जनता की जनसमस्याओं को शासन प्रशासन तक पहुचॉनें के उददेश्यों को पुरा करने के लिये करने के लिए बनाया गया है। परिषद् का मूल उद्देश्य मानवाधिकार संरक्षण का ज़्यादा से ज़्यादा प्रचार-प्रसार करना है। जिससे आम जनता को अपने अधिकार पता हों सके और जब आम जनता को अपने अधिकार और सामाजिक न्याय के बारे में पता होगा तो लोग सुखमय की ज़िंदगी जी सकेगे,और समाज में खुशहाली जैसा माहौल बना रहेगा ।जिससे कोई भी नागरिक छोटी-छोटी बातों के लिए चौकी थाना व न्यायालय की शरण में नहीं जायेंगे और राष्ट्रीय एकता एवं भाई चारे की मिसाल कायम करेंगे ।औऱ पूरे भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मानवता का संदेश देगे जिससे भारत देश का नाम रोशन हो। राष्ट्रीय और अंर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक हित में कार्य करके राष्ट्रीय एकता स्थापित करना हमारा परम उद्देश्य है। इस परिषद् में समाज के विभिन्न पहलुओं को देखते हुए कई अलग-अलग प्रकोष्ठों का भी गठन किया गया है। सभी प्रकोष्ठ मुख्य परिषद् के समान ही परिषद् के विधान से पोषित एवं शक्ति प्राप्त हैं। संस्थापक सदस्यों जिनमें मुख्यतः राष्ट्रीय अध्यक्ष/संस्थापक /राष्ट्रीय संयोजक/संरक्षक (जिनका चुनाव नहीं होगा), इसके अलावा सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल 01 वर्ष का रखा गया है, जिसको समय एवं परिस्थितियों को देखकर घटाया अथवा बढ़ाया जा सकता है। यह परिषद् सेवा-भाव से प्रेरित होकर बनाया गया है। इस परिषद् में किसी को भी अन्य प्रभाव से नामांकन नहीं दिया जाता, यदि ऐसा करता हुआ कोई भी पदाधिकारी पाया जाता है जिसकी सुचना प्राप्त होते ही उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त करते हुये उसके खिलाफ उचित कार्यवाही की जा सकती है।
(2)लक्ष्य एवं उद्देश्य :
विश्व मानवाधिकार परिषद् भारत के संविधान में सच्ची निष्ठा और श्रृद्वा एवं विश्वास रखता है। आजादी के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर, मदर टेरेसा, पूर्व न्यायाधीश स्व0 पी0एन0 भगवती के आदर्शों से प्रेरणा लेकर विश्व मानवाधिकार परिषद् मानव अधिकार, बाल अधिकार, महिला अधिकार जैसे समस्त अधिकार जो संविधान में वर्णित हैं, लोकतंत्र, धर्मनिर्पेक्षता और समाजवाद में आस्था रखता है । विश्व मानवाधिकार परिषद् का विश्वास ऐसी राज व्यवस्था में है जिसमें आम जनता जागरूक हो, शिक्षा का प्रचार-प्रसार, अमन-चैन और अपने अधिकारों के साथ सुखमय जीवन यापन कर सकें। परिषद् शांतिमय तथा लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रकट करने के अधिकार को मान्यता प्रदान करती है। इसमें सत्याग्रह तथा शांतिपूर्ण विरोध शामिल है।विश्व मानवाधिकार परिषद् विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रृद्वा एवं निष्ठा बनाये रखेगा तथा सन्निहित मानव अधिकार, समाजवाद, धर्म निर्पेक्षता एवं सामाजिक न्याय के सिद्वान्तों के प्रति प्रतिबद्व रखेगी। विश्व मानवाधिकार परिषद् भारत की संप्रभुता, एकता और अखण्डता को अक्षुण्य बनाये रखेगा।
(3)क्या विश्व मानवाधिकार परिषद् पंजीकृत संगठन है ?
भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के अर्न्तगत रजिस्टर्ड संगठन है जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर 16/2015 है, परिषद् का उददेश्य है कि न भ्रष्टाचार करेगे न भ्रष्टाचार सहेगे और किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करेगे, विश्व मानवाधिकार परिषद् व उसके समस्त प्रकोष्ठ/परिषद् आदि उसके संगठन है।
(4) सदस्य कैसे बनें :
विश्व मानवाधिकार परिषद से जुड़ने वाले प्रत्येक सदस्य को कम्पलीट आवेदन फॉर्म भरने के साथ साथ रु0 150/- सदस्यता शुल्क देकर संगठन का प्रारंभिक सदस्य बन सकता है परन्तु प्रत्येक प्रारंभिक सदस्य को रु0 10/- प्रतिमाह मासिक शुल्क जमा करना अनिवार्य है अन्यथा सदस्यता स्वतः समाप्त हो जायेगी। राशि को सीधे संगठन (विश्व मानवाधिकार परिषद्) के बैंक खाते में जमा कराने का प्राविधान है, जिसे राष्ट्रीय अध्यक्ष की निगरानी में केन्द्रीय कमेटी कार्यालय संचालन, अनुसंधान, मानव अधिकार जागरूकता अभियान, मानवाधिकार शिक्षा, निःशुल्क कानूनी सलाह, लेखन सामग्री तथा सभा आयोजन व अधिकारों की प्राप्ति के लिए होने वाले शांतिपूर्ण धरने-प्रदर्शन आंदोलनों आदि में खर्च करेगी है।
(5)सहयोग राशि व शुल्क का विभाजन प्रति कार्यकारिणी सदस्यवार प्राप्त शुल्क की धनराशि रु0 10/- प्रतिमाह को रु0 02/- स्थानीय कमेटी, रु0 02/- जिला कमेटी में, रु0 02/- प्रदेश कमेटी में तथा रु0 04/-(शेष राशि) केन्द्र कमेटी/राष्ट्रीय कमेटी में विभाजित किया गया है।
(6)अन्य शुल्क परिषद् का परिचय पत्र प्राप्त करने हेतु कम्पलीट आवेदन फॉर्म भरने के उपरान्त परिचय पत्र जारी किया जाता है, जो एक वर्ष के लिए वैध होता है। (इसका शुल्क रु0 150/- है)
नोट :- यह शुल्क सिर्फ प्रारम्भिक सदस्यों के लिए ही है।
(7)दान एंव सहयोग राशि प्राप्त करना। परिषद् का सदस्य नहीं होने के बावजूद भी परिषद् के विकास के लिये यदि कोई दानी सज्जन अपना योगदान देना चाहते हों तो वे विश्व मानवाधिकार परिषद् के सम्बन्धित खाते में धनराशि जमा करके जमापर्ची की फोटो प्रति मुख्य कार्यालय भेजकर पावती रसीद मँगा सकते हैं। यह राशि समाज हित में उपयोग की जायेगी औार जिसका सम्पूर्ण ब्यौरा आवश्यकता पड़ने पर कोर कमेटी के समक्ष सार्वजनिक किया जायेगा।
(8)परिषद् की कार्यकारिणी सम्पूर्ण भारतवर्ष में परिषद् के द्वारा मानव अधिकार का प्रचार-प्रसार और समाज सेवा हो सके एवं ज़रूरतमंदों को सामाजिक, प्रशासनिक एवं सरकारी लाभ मिल सके जिसके लिये परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी एंव आवश्यकतानुसार प्रकोष्ठों का भी गठन किया जायेगा जो निम्न प्रकार है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी इस प्रकार है :-
01.राष्ट्रीय अध्यक्ष :- संस्थापक स्वयं अथवा उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति।
02. राष्ट्रीय संयोजक एक पोस्ट
03. राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक एक पोस्ट।
04.राष्ट्रीय संरक्षक चार पोस्ट
05.राष्ट्रीय मुख्य सलाहकार एक पोस्ट ।
06.राष्ट्रीय सलाहकार चार पोस्ट ।
07.राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पॉच पोस्ट ।
08.राष्ट्रीय सचिव आठ पोस्ट ।
09.राष्ट्रीय महासचिव प्रमुख एक पोस्ट ।
10 राष्ट्रीय महासचिव चार पोस्ट ।
11 राष्ट्रीय संगठन सचिव चार पोस्ट ।
12.राष्ट्रीय पी0आर0ओ0 एक पोस्ट ।
13. राष्ट्रीय विधि सलाहकार चार पोस्ट ।
14. राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी चार पोस्ट ।
15. राष्ट्रीय प्रवक्ता चार पोस्ट ।
16. राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एक पोस्ट ।
17. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यगण आवश्यकतानुसार।
18. आजीवन सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आवश्यकतानुसार।
जोनल कार्यकारिणी
01.जोनल अध्यक्ष :- संस्थापक अध्यक्ष द्वारा नियुक्त व्यक्ति।
02. जोनल संयोजक एक पोस्ट।
03. जोनल मुख्य संरक्षक एक पोस्ट।
04.जोनल संरक्षक चार पोस्ट।
05.जोनल मुख्य सलाहकार एक पोस्ट ।
06.जोनल सलाहकार चार पोस्ट ।
07.जोनल उपाध्यक्ष पॉच पोस्ट ।
08.जोनल सचिव आठ पोस्ट ।
09.जोनल महासचिव प्रमुख एक पोस्ट ।
10 जोनल महासचिव चार पोस्ट ।
11 जोनल संगठन सचिव चार पोस्ट ।
12. जोनल पी0आर0ओ0 एक पोस्ट ।
13. जोनल विधि सलाहकार चार पोस्ट ।
14. जोनल मीडिया प्रभारी चार पोस्ट ।
15. जोनल प्रवक्ता चार पोस्ट ।
16. जोनल कोषाध्यक्ष एक पोस्ट।
17. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यगण आवश्यकतानुसार।
18. आजीवन सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आवश्यकतानुसार।
प्रदेश कार्यकारिणी
01.प्रदेश अध्यक्ष :- संस्थापक अध्यक्ष द्वारा नियुक्त व्यक्ति।
02. प्रदेश संयोजक एक पोस्ट।
03. प्रदेश मुख्य संरक्षक एक पोस्ट।
04.प्रदेश संरक्षक चार पोस्ट।
05.प्रदेश मुख्य सलाहकार एक पोस्ट ।
06.प्रदेश सलाहकार चार पोस्ट ।
07.प्रदेश उपाध्यक्ष पॉच पोस्ट ।
08.प्रदेश सचिव आठ पोस्ट ।
09.प्रदेश महासचिव प्रमुख एक पोस्ट ।
10 प्रदेश महासचिव चार पोस्ट ।
11 प्रदेश संगठन सचिव चार पोस्ट ।
12.प्रदेश पी0आर0ओ0 एक पोस्ट ।
13. प्रदेश विधि सलाहकार चार पोस्ट ।
14. प्रदेश मीडिया प्रभारी चार पोस्ट ।
15. प्रदेश प्रवक्ता चार पोस्ट ।
16. प्रदेश कोषाध्यक्ष एक पोस्ट ।
17. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यगण आवश्यकतानुसार।
18. आजीवन सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आवश्यकतानुसार।
मंण्डल कार्यकारिणी
01.मंण्डल अध्यक्ष एक पोस्ट।
02. मंण्डल संयोजक एक पोस्ट।
03. मंण्डल मुख्य संरक्षक एक पोस्ट।
04.मंण्डल संरक्षक चार पोस्ट।
05.मंण्डल मुख्य सलाहकार एक पोस्ट ।
06.मंण्डल सलाहकार चार पोस्ट ।
07.मंण्डल उपाध्यक्ष पॉच पोस्ट ।
08.मंण्डल सचिव आठ पोस्ट ।
09.मंण्डल महासचिव प्रमुख एक पोस्ट ।
10 मंण्डल महासचिव चार पोस्ट ।
11 मंण्डल संगठन सचिव चार पोस्ट ।
12. मंण्डल पी0आर0ओ0 एक पोस्ट ।
13. मंण्डल विधि सलाहकार चार पोस्ट ।
14. मंण्डल मीडिया प्रभारी चार पोस्ट ।
15. मंण्डल प्रवक्ता चार पोस्ट ।
16. मंण्डल कोषाध्यक्ष एक पोस्ट ।
17. मंण्डल कार्यकारिणी सदस्यगण आवश्यकतानुसार।
18. आजीवन सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आवश्यकतानुसार।
जिला कार्यकारिणी
01.जिला अध्यक्ष एक पोस्ट ।
02. जिला संयोजक एक पोस्ट।
03. जिला मुख्य संरक्षक एक पोस्ट।
04.जिला संरक्षक दो पोस्ट।
05.जिला मुख्य सलाहकार एक पोस्ट ।
06.जिला सलाहकार दो पोस्ट ।
07.जिला उपाध्यक्ष तीन पोस्ट ।
08.जिला सचिव चार पोस्ट ।
09.जिला महासचिव प्रमुख एक पोस्ट ।
10 जिला महासचिव दो पोस्ट ।
11 जिला संगठन सचिव दो पोस्ट ।
12.जिला पी0आर0ओ0 एक पोस्ट ।
13. जिला विधि सलाहकार दो पोस्ट ।
14. जिला मीडिया प्रभारी दो पोस्ट ।
15. जिला प्रवक्ता दो पोस्ट ।
16. जिला कोषाध्यक्ष एक पोस्ट ।
17. जिला कार्यकारिणी सदस्यगण आवश्यकतानुसार।
18. आजीवन सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आवश्यकतानुसार।
तहसील /ब्लॉक/ नगर /कार्यकारिणी
01.तहसील अध्यक्ष एक पोस्ट।
02. तहसील संयोजक एक पोस्ट
03. तहसील मुख्य संरक्षक 0।
04.तहसील संरक्षक दो पोस्ट
05.तहसील मुख्य सलाहकार 0 ।
06.तहसील सलाहकार दो पोस्ट ।
07.तहसील उपाध्यक्ष दो पोस्ट ।
08.तहसील सचिव दो पोस्ट ।
09.तहसील महासचिव प्रमुख 0 ।
10 तहसील महासचिव दो पोस्ट ।
11 तहसील संगठन सचिव दो पोस्ट ।
12.तहसील पी0आर0ओ0 एक पोस्ट ।
13. तहसील विधि सलाहकार दो पोस्ट ।
14. तहसील मीडिया प्रभारी दो पोस्ट ।
15. तहसील प्रवक्ता दो पोस्ट ।
16. तहसील कोषाध्यक्ष एक पोस्ट ।
17. तहसील कार्यकारिणी सदस्यगण आवश्यकतानुसार।
18. आजीवन सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आवश्यकतानुसार।
विश्व मानवाधिकार परिषद् के निम्न प्रकोष्ठों का गठन।
1.अल्पसंख्यक् प्रकोष्ठ।
2.महिला प्रकोष्ठ।
3.विधि प्रकोष्ठ।4.यूथ प्रकोष्ठ।
5. सुचना प्रकोष्ठ आर0टी0आई0।
6. पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ।
7. एस0सी0/एस0टी0 प्रकोष्ठ।
नोट :- उपरोक्त सभी प्रकोष्ठों एवं सभी ज़ोन, प्रदेश के पदाधिकारियों कार्यकारिणी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अनुरूप रहेगी इसके अलावा मण्डल, जिला, तहसील, ब्लॉक, नगर, के पदाधिकारियों का चयन आवश्यकतानुसार किया जायेगा।विश्व मानवाधिकार परिषद् में प्रत्येक प्रकोष्ठ का एक राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा जो सीधे मुख्य राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में कार्य करेगा। उपरोक्त वर्णित ज़ोनल अध्यक्ष अपने-अपने ज़ोन के अन्तर्गत् आने वाले राज्यों का कार्य देखेंगे। इसके साथ ही प्रत्येक राज्य अपनी संगठनात्मक गतिविधियों की सीधी रिपोर्टिंग राष्ट्रीय अध्यक्ष को करेगा, वहीं दूसरी ओर प्रदेश प्रभारी एवं प्रदेशाध्यक्ष अपने राज्य की सामाजिक एवं संगठनात्मक गतिविधियों की सीधी रिपोर्टिंग अपने ज़ोनल अध्यक्ष को करेंगे। कुछ खास विषयों में परिषद् का कोई भी सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर उनको सीधी रिपोर्टिंग कर सकता है। यह नियम मुख्य परिषद् एवं उसके प्रत्येक प्रकोष्ठ के लिए अलग से लागू होगा ताकि विश्व मानवाधिकार परिषद् पूरी बारीकी से अपनी समाज सेवा सुचारू रूप से कर सके।
विश्व मानवाधिकार परिषद् में आपका स्वागत है ।
विश्व मानवाधिकार परिषद एक सामाजिक ट्रस्ट है जिसका पंजीकरण भारतीय न्यास अधिनियम 1882 के अन्तर्गत पंजीकृत किया गया है। यह एक ग़ैर-सरकारी, ग़ैर-राजनैजिक राष्ट्रीय संगठन है। हमारा कार्य समाज के लोगों को जागरूक करना है और उनकी आवाज को शासन प्रशासन तक पहुचॉना ।राष्ट्रीय अध्यक्ष एंव उसके द्वारा अधिकत पदाधिकारी को ही सिर्फ नया सदस्य बनाने/नवीनीकरण/निरस्त करने का अधिकार है। किसी भी पोस्ट/पद/या मेम्बर के लिए किसी राष्ट्रीय पदाधिकारी/ज़ोनल पदाधिकारी/प्रदेश अध्यक्ष या प्रदेश पदाधिकारी/मण्डल अध्यक्ष/पदाधिकारी/ज़िला, नगर,तहसील ब्लॉक, अध्यक्ष या पदाधिकारी आपको मनोनय पत्र या आई0डी0 कार्ड देते हैं तो पत्र/आई0डी0 कार्ड लेने वाले मेम्बर इन नम्बर पर अपने पत्र और आई0डी0 सुख्या सूचित करें या व्हॉट्सऐप करें, 09454110126/09794100006 या मेल करें या जिससे सदस्य के पत्र और पहचान पत्र को सत्यापित किया जा सके । जिससे कोई कार्ड लेटर फर्जी न जारी कर सके और पूरी बारीकी से नज़र रखी जा सके।
नोटः-जिनका नाम परिषद् की वेबसाइट पर है सिर्फ वह ही हमारे पदाधिकारी/मेम्बर्स हैं। (विश्व मानवाधिकार परिषद से सम्बद्ध संगठन एवं समाचार पत्र, विश्व मुस्लिम बोर्ड, ऑल इण्डिया प्रेस परिषद्, भारतीय मतदाता जागरूकता संघ, आलॅ इण्डिया मुस्लिम कान्फ्रेस भारतीय मान्यता प्राप्त पत्रकार परिषद्, आतंकवाद एवं भ्रष्टाचार विरोधी संगठन, मीडिया टाइम्स, लखनऊ, स्वतंत्र स्वरूप।विश्व मानवाधिकार परिषद् परिवार परिषद् के उद्देश्यों के सफल निर्वहन के साथ पाँचवाँ स्थापना दिवस 02.02.2019 को मनाएगी। यह परिषद् का पाँचवाँ स्थापना दिवस वर्ष होगा। समस्त देशवासियों को स्थापना दिवस, विश्व मानवाधिकार परिषद सभी धर्मों का सम्मान करता कोई ऊँच नीच भेदभाव नही करता सभी धर्मों के लोगों को अपने अपने धर्मों के प्रति आस्था रखने का अधिकार प्राप्त है इसलिए धर्म के लोगों को होली , ईद ,बक़रीद, दीपावली, छठ के अलावा सभी राष्ट्रीय पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ, क्योंकि सभी पर्व को शान्ति और भाईचारे के साथ मनाएँ और राष्ट्रीय एकता का परिचय दें।
सदस्यता शुल्क /सहयोग एंव दान राशि जमा करना।
किसी प्रकार का लेनदेन या सदस्यता शुल्क सिर्फ विश्व मानवाधिकार परिषद् के एकाउण्ट में करें। किसी भी प्रकार के कैश लेनदेन पर परिषद् ज़िम्मेदार नहीं होगा। कैशलेस बनेगा इण्डिया तभी तो आगे बढ़ेगा इण्डिया। अधिकर जानकारी के लिए सम्पर्क करें :- 09454110126 अथवा 09794100006।
विश्व मानवाधिकार परिषद :विश्व मानवाधिकार सामाजिक विकास के लिए वृद्धो के लिये वृद्धाश्रम/धर्मशाला/गरीब बच्चों के लिये स्कूल बनाना चाहता है, जिससे समाज के उन लोगों लोगों की भलाई हो सके जो गरीब व असहाय लोगो की श्रेणी में आते हैं। सहयोग कर्ता इस पुनीत कार्य के कार्य के लिए ज़मीन अथवा निर्माण सामग्री या तन-मन-धन से वृद्धाश्रम/स्कूल/धर्मशाला के निर्माण में दान देकर इस कार्य में परिषद् की मददे करें। परिषद् समाज के लिए ऑक्सीज़न सिलेण्डर, बेटी की शादी के लिए बर्तन, दरी, गद्दा, तकिया, चादर ,साइकिल,या ऐसे सामान जो समाज के काम आए, निःशुल्क सेवा प्रारम्भ करेगी। जो भी इच्छुक इसमें सहयोग प्रदान करना चाहते हैं, प्रधान कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं एवं उन्हें पावती रसीद भी दी जायेगी। परिषद् के सामाजिक कार्य में परिषद् का साथ दें और सेवा करने का आनन्द प्राप्त करें। सहयोग कर्ता एवं दानदाता के नाम को दाता बोर्ड में अंकित किया जायेगा। दान ऑन-लाइन, ट्रान्सफर, चेक, ड्राफ्ट सिर्फ विश्व मानवाधिकार परिषद् के नाम से ही स्वीकार्य होगा। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें :- 09454110126 अथवा 09794100006, ई-मेल आई0डी0 :-
v**********@g*****.com।
कार्यकारिणी की जवाबदेही निम्न प्रकार से होगी :-
राष्ट्रीय/केन्द्रीय स्तर पर (राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उनकी केन्द्रीय/राष्ट्रीय कमेटी)।ज़ोनल कार्यकारिणी प्रत्येक ज़ोन पर (ज़ोनल अध्यक्ष एवं उनकी ज़ोनल कार्यकारिणी)।प्रदेश स्तर अर्थात् प्रत्येक राज्य के संभाग स्तर पर (संभाग अध्यक्ष एवं संभागीय कमेटी)।जिला स्तर अर्थात् प्रत्येक संभाग के जिला स्तरों पर (जिला अध्यक्ष एवं जिलास्तरीय कमेटी)।शहर स्तर अर्थात् प्रत्येक जिलों के शहर (नगर) स्तर पर (शहर अध्यक्ष एवं उनकी कमेटी)।प्रत्येक तहसीलों/ग्राम/ब्लॉक एवं वार्ड स्तरीय अध्यक्ष एवं उनकी कमेटी।उपरोक्त सिस्टम व प्रक्रिया सभी अलग-अलग प्रकोष्ठों में भी लागू होगी।
(9)प्रत्येक स्तर की कमेटी या कार्यकारिणी में पदों का विभाजन इस प्रकार है :-
01.राष्ट्रीय अध्यक्ष :- संस्थापक स्वयं अथवा उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति।
02. राष्ट्रीय संयोजक एक पोस्ट।
03. राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक एक पोस्ट।
04.राष्ट्रीय संरक्षक चार पोस्ट।
05.राष्ट्रीय मुख्य सलाहकार एक पोस्ट ।
06.राष्ट्रीय सलाहकार चार पोस्ट ।
07.राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पॉच पोस्ट ।
08.राष्ट्रीय सचिव आठ पोस्ट ।
09.राष्ट्रीय महासचिव प्रमुख एक पोस्ट ।
10 राष्ट्रीय महासचिव चार पोस्ट ।
11 राष्ट्रीय संगठन सचिव चार पोस्ट ।
12.राष्ट्रीय पी0आर0ओ0 एक पोस्ट ।
13. राष्ट्रीय विधि सलाहकार चार पोस्ट ।
14. राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी चार पोस्ट ।
15. राष्ट्रीय प्रवक्ता चार पोस्ट ।
16. राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एक पोस्ट ।
17. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यगण आवश्यकतानुसार।
18. आजीवन सदस्य एवं विशेष आमंत्रित सदस्य आवश्यकतानुसार।
(10) विश्व मानवाधिकार परिषद् के अन्तर्गत् वर्तमान में निम्न प्रकोष्ठ होंगे :-
01.अल्पसंख्यक् प्रकोष्ठ।
02.महिला प्रकोष्ठ।
03.यूथ प्रकोष्ठ।
04.विधि प्रकोष्ठ।
05. सुचना प्रकोष्ठ आर0टी0आई0।
6. पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ।
7. एस0सी0/एस0टी0 प्रकोष्ठ।
(11) परिषद् के महत्वपूर्ण नियम
विश्व मानवाधिकार परिषद् के किसी भी प्रोग्रामों में लगने वाले पोस्टर/बैनर/फ्लैक्स पर माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष एंव अन्य उच्च पदाधिकारियों के फोटो सम्मानजनक स्थान पर लगाना अनिवार्य है, साथ ही परिषद् की वेबसाइट vmpgov. in है।
01.विश्व मानवाधिकार परिषद संगठन का कार्य सुचारु रुप से चलाने के लिये एंव आम जन की समस्याओं को शासन प्रशासन तक पहुचॉनें एवं समाज को भय मुक्त ,अपराध मुक्त बनाने के लिये समय-समय पर आवश्यकतानुसार पदों एंव प्रकोष्ठों का गठन करना तथा समयानुसार परिस्थितियों को देखते आवश्यकतानुसार पदों एंव प्रकोष्ठों का विघटन किया जा सकता है या किन्हीं खास कारणों से प्रकोष्ठ या कार्यकारिणी बिना सूचना दिये भंग की जा सकती है। यह अधिकार सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष को है।
02.सामान्यतः विभिन्न स्तर के अध्यक्ष या सम्बन्धित पदाधिकारी के मनोनयन के बाद 30 से 45 दिन या अन्तिम 90 दिवस के भीतर उसे अपनी कार्यकारिणी गठित करने की सूची के साथ अनुशंसा राष्ट्रीय अध्यक्ष को करनी है, यदि ऐसा नहीं होता है तो उसका मनोनयन निरस्त समझा जायेगा तथा नये अध्यक्ष या सम्बन्धित पदाधिकारी का मनोनयन किया जा सकता है, किन्तु नवाध्यक्ष कार्यकारिणी गठन के लिए यदि चाहे तो सम्बन्धित पदाधिकारियों का मनोनयन किया जा सकता है। विभिन्न स्तरों के अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी जिनको कार्यकारिणी निर्माण की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, यदि उनके द्वारा नियत समय में कार्यकारिणी नहीं बनायी जाती है या सूचना नहीं दी जाती है तो उनके स्थान पर उन्हें बिना कोई सूचना दिये या प्रकाशित करवाये किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता है।
03.भारतवर्ष के ऐसे राज्य या स्थान जहाँ कार्यकारिणी गठित नहीं है, उनके लिये परिषद् के या बाहर से प्रभारी नियुक्त किये जाते हैं, जिनका कार्य उचित व्यक्ति का नाम अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को देना होगा।
04.आवश्यकतानुसार परिषद् में समय-समय पर विधान में संशोधन किया जा सकता है जिसके सर्वाधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष/संस्थापक अध्यक्ष के पास सुरक्षित हैं।
05.परिषद् के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य आदि द्वारा यदि किसी भी तरह के गैरकानूनी कार्य भारत देश की किसी भी राष्ट्रीय धरोहर को क्षतिग्रत या नुकसान पहुँचाने का कार्य करते है या किसी भी अपराध के लिए, समाज में नफरत या अशान्ति का माहौल फैलाने वाला व्यक्तिगत् रूप से ज़िम्मेदार होगा तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष या परिषद् के अन्य सदस्य इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं माने जायेंगे और ऐसा कोई भी अपराध या कृत्य किया जाता है या सिद्ध होता है जिसकी सूचना मिलने या न मिलने पर भी उस व्यक्ति का परिषद् से स्वतः ही निष्कासन/पदमुक्त माना जायेगा।
06.किसी भी वर्तमान या पूर्व पदाधिकारी, सदस्य, कार्यकर्ता, प्रारम्भिक /साधारण सदस्य या अन्य व्यक्ति द्वारा परिषद् के लैटरपैड, सील, आई0डी0 कार्ड आदि का दुरुपयोग किया जाता है तथा परिषद् के सदस्यों के खिलाफ उन्हें बेवजह परेशान, प्रताड़ित, बदनाम, छवि खराब करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया, मौखिक-लिखित आदि किसी भी प्रकार से कोई क्रिया-कलाप करता है तो उसके खिलाफ समक्ष न्यायालय में वाद दायर किया जा सकता है तथा आवश्यक कानूनी कार्यवाही के लिए वह स्वयं ज़िम्मेदार होगा और इस कानूनी कार्यवाही में आए खर्च को उसके द्वारा ही वहन किया जायेगा।
07.विश्व मानवाधिकार परिषद् में राष्ट्रीय अध्यक्ष (संस्थापक अध्यक्ष) का चुनाव नहीं होता, राष्ट्रीय अध्यक्ष के अलावा किसी भी स्तर के अध्यक्ष या किसी भी पद के पदाधिकारी को मनोनीत करने या हटाने का पूर्ण अधिकार सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष को है। एंव राष्ट्रीय अध्यक्ष जिसको चाहें विशेष कार्यभार सौंप सकते हैं। किन्तु अपना कार्यकाल पूरा करने या इसी बीच कोई भी पदाधिकारी या सदस्य को गलत आचरण या किसी भी अपराण में लिप्त पाये जाने पर तत्काल पदमुक्त किया जा सकता है।
(12)विश्व मानवाधिकार परिषद् के नियम।
01.संगठन का नाम :- विश्व मानवाधिकार परिषद् है।
02.सदस्यता की परिभाषा :- कोई भी भारतीय व्यक्ति इसका सदस्य बन सकता है जो परिषद् में निःस्वार्थ भाव से सेवा करना चाहता एंव साफ-सुथरी छवि का हो, भारतवर्ष के किसी भी न्यायालय दण्डिंत न किया गया हो और साथ ही साथ किसी भी थाने में कोई अपराधिक मुकदमा पंजीकृत न हो, एंव किसी भी प्रतिबंधित संगठन का सदस्य न हो, राष्ट्र के विकास के साथ-साथ मानव अधिकार शिक्षा, मानव के अधिकार का प्रचार-प्रसार और सामाजिक कार्य करने को इच्छुक हों तथा परिषद् की मूल भावना एवं विचारधारा तथा परिषद् के संविधान से एकरूप होकर निर्धारित कार्यक्षेत्र का पालन करने को तैयार हों सदस्यता प्रदान की जायेगी।
03.सदस्यता के निए प्रवेश एवं योग्यता :-
कोई योग्यता र्निधारित नहीं है। यह अध्यक्ष/प्रभारी के स्व-विवेक पर है परन्तु मूल संगठन एवं उसके प्रकोष्ठों के विषयों के अनुसार हो।
04.सदस्यता शुल्क :-
कोई भी व्यक्ति जो संगठन के नियमों के अनुसार सदस्यता शुल्क अदा करना अनिवार्य है
अ)साधारण सदस्यता शुल्क रु0 150/-
ब)सक्रिय सदस्यता शुल्क रु0 1100/-,
स)जिला अध्यक्ष लिए रु0 525/ पदाधिकारी 525 -
द)प्रदेश अध्यक्ष के लिए रु0 2100/- है)आजीवन सदस्यता शुल्क रु0 2100/- देकर परिषद् के आजीवन सदस्य बन जायेंगे।
नोटः-राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी भी पदाधिकारी या सदस्य की सदस्यता रद्द या बहाल कर सकते हैं।
(13)किसी भी तरह के विवाद में न्यायक्षेत्र लखनऊ होगा।
(14)विश्व मानवाधिकार परिषद् और सम्बद्ध संगठन/प्रकोष्ठ की कुछ महत्वपूर्ण एवं सामान्य जानकारी यहाँ प्रदर्शित की गई है। परिषद् के नियम के बिन्दु (1) से (14) तक जो यहाँ प्रदर्शित है, परिषद् और परिषद् से सम्बद्ध सभी संगठन/प्रकोष्ठ में लागू होंगी। परिषद् के पूर्ण नियम, उपनियम की जानकारी सदस्य और पदाधिकारी कार्य दिवस पर प्रधान कार्यालय में देख सकते हैं।
मानव अधिकार क्या है :
मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो आम आदमी के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किये गए हैं और न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय हैं। इसके अलावा ऐसे अधिकार जो अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के फलस्वरूप सँयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा स्वीकार किये गए हैं और देश के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं, को मानव अधिकार कहा जाता है। इन अधिकारों में प्रदूषणमुक्त वातावरण में जीने का अधिकार, अभिरक्षा में यातनापूर्ण और अपमानजनक व्यवहार न होने सम्बन्धी अधिकार और महिलाओं के साथ प्रतिष्ठापूर्ण व्यवहार का अधिकार शामिल है।
जाँच कार्य से सम्बन्धित प्राप्त अधिकार ।
अधिनियम के अन्तर्गत् किसी शिकायत की जाँच करते समय आयोग की सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 के अन्तर्गत् सिविल न्यायालय के समस्त अधिकार प्राप्त हैं। विशेष रूप से सम्बन्धित पक्ष को तथा गवाहों को सम्मन जारी करके बुलाने तथा उन्हें आयोग के सामने उपस्थित होने के लिए बाध्य करने एवं शपथ देकर परीक्षण करने का अधिकार, किसी दस्तावेज़ का पता लगाने और उसको प्रस्तुत करने का आदेश देने का अधिकार, शपथ पर गवाही लेने का अधिकार और किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से कोई सरकारी अभिलेख अथवा उसकी प्रतिलिपि की मांग करने का अधिकार, गवाहियों अथवा दस्तावेज़ों की जाँच हेतु कमीशन जारी करने का अधिकार। आयोग में पुलिस अनुसंधान दल भी है, जिसके द्वारा प्रकरणों की जाँच की भी जाती है।
उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार आयोग के कार्य ।
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम-1993 के अन्तर्गत् उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग के द्वारा निम्नलिखित कार्य किये जायेंगे :-
1.आयोग अपनी ओर से स्वयं अथवा पीड़ित द्वारा अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रार्थना पत्र देकर शिकायत करने पर कि, किसी शासकीय सेवक द्वारा मानव अधिकारों का हनन किया गया है अथवा ऐसा करने के लिए उकसाया गया है अथवा उसने ऐसा हनन रोकने की उपेक्षा की है, तो ऐसी शिकायतों की जाँच करना।
2.किसी न्यायालय में विचाराधीन मानव अधिकारों के हनन के मामले में सम्बन्धित न्यायालय के अनुमोदन से ऐसे मामले की कार्यवाही में भाग लेना।
3.राज्य सरकार को सूचित करके, किसी जेल अथवा राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन किसी ऐसे संस्थान का जहाँ लोगों को चिकित्सा सुधार अथवा सुरक्षा हेतु निरुद्ध अथवा ठहराया जाता है, वहाँ के निवासियों की आवासीय दशाओं का अध्ययन करने के लिए निरीक्षण करना और उसके बारे में अपने सुझाव देना।
4.संविधान तथा अन्य किसी कानून द्वारा मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रदत्त रक्षा उपायों की समीक्षा करना तथा उनके प्रभावी कार्यान्वयन के सम्बन्ध में सुझाव देना।
5.आतंकवाद एवं ऐसे सारे क्रिया-कलापों की समीक्षा करना, जो मानव अधिकारों का उपभोग करने में बाधा डालते हैं तथा उनके निवारण के लिए उपाय सुझाना।
6.मानव अधिकारों से सम्बन्धित अनुसंधान कार्य को अपने हाथ में लेना एवं उसे बढ़ावा देना।
7.समाज के विभिन्न वर्गों में मानव अधिकार सम्बन्धी शिक्षा का प्रसार करना तथा प्रकाशनों, संचार माध्यमों एवं संगोष्ठियों और अन्य उपलब्ध साधनों द्वारा मानव अधिकार सम्बन्धी रक्षा उपायों के प्रति जागरूकता लाना।
8.मानव अधिकारों की रक्षा करने या करवाने के क्षेत्र में गैर सरकारी संगठनों तथा संस्थानों को सहयोग प्रदान करना जिससे आम जनता के अधिकारों की रक्षा की जा सके ।
शुभकामनाओं सहित
(एम0 आर0 अंसारी)
राष्ट्रीय अध्यक्ष/संस्थापक
विश्व मानवाधिकार परिषद्
संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा।
प्राक्कथन
10 दिसम्बर, 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा हुयी और उसे महासभा ने स्वीकार किया। इसका मसौदा बनाने वालों की असाधारण अन्तर्दृष्टि और संकल्प ने एक ऐसा दस्तावेज़ दिया जिसने पहली बार सभी लोगों के लिए एक वैयक्तिक संदर्भ में सार्वभौमिक मानवाधिकार निर्धारित किए। अब 360 से भी अधिक भाषाओं में उपलब्ध, यह घोषणा दुनिया का सर्वाधिक अनूदित दस्तावेज़ है। इसी सार्वभौमिक प्रकृति और पहुँच का यह एक प्रमाण है। इसने अनेकानेक नव-स्वतंत्र राष्ट्रों और नए लोकतंत्रों के संविधानों को प्रेरित किया है। यह एक ऐसा मापदण्ड बन चुका है जिसके ज़रिये हम जो गलत या सही हैं, उसे जानते हैं या हमें जानना चाहिए, उसका आंकलन करते हैं।यह सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है कि यह अधिकार ऐसी जीवन्त वास्तविकता बने जिसे सभी जगहों के सभी लोग आसानी से समझ सकें और इसे लाभांवित हो सकें। जिन लोगों को अपने अधिकारों की सुरक्षा की सबसे ज्यादा चिंता रहती है उन्हें यह भी बताया जाना चाहिए कि यह घोषणा अस्तित्व में आ चुकी है और उन्हीं के लिए हैं।इस घोषणा को स्वीकार किये जाने की 71वीं वर्षगाँठ हम सबके लिए इस घोषणा के दर्शन के प्रति पुनः समर्पित होने का एक अवसर है। यह आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी अपने स्वीकार किये जाने के दिन थी। मुझे आशा है कि आप इसे अपने जीवन का एक अंग बना लेंगे।
बान की मून
महासचिव
प्रस्तावना
आज यह कल्पना करना कठिन है कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा तब कैसे आधारभूत परिवर्तन का प्रतीक रही होगी जब इसे 60 वर्ष पहले अपनाया गया था। युद्ध के बाद विध्वंस से भयभीत उपनिवेषवाद से बटी और असमानताओं से टूटी-बिखरी दुनिया में अन्तर्निहित मान-मर्यादा और रंग, पंथ या मूल से बेपरवाह सभी मनुष्यों में समानता से पहले सार्वभौमिक और विधिवत् प्रण को सीमांकित करता एक घोषणापत्र, एक निर्भीक और साहसिक प्रतिज्ञा थी, ऐसी जिसकी सफलता निश्चित नहीं थी। इसमें उन सभी आधारभूत स्वतंत्रताओं के संरक्षण का एक ऐसा व्यापक ढाँचा बन उठा है जिसके हम अधिकारी हैं। यही तथ्य घोषणा के मसौदाकारों के दर्शन को एक श्रृद्धांजलि है और उन सभी मानवाधिकार संरक्षकों को भी जिन्होंने छः दशकों से भी अधिक समय तक इस दर्शन को एक वास्तविकता बनाने के लिए संघर्ष किया। यह संघर्ष दूर तक जायेगा और उसमें भी घोषणा की ताकत है। यह एक जीवित दस्तावेज़ है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
लुई आर्बर,
मानवाधिकार उच्चायुक्त
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा:
10 दिसम्बर, 1948 को यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेम्बली ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को स्वीकृत और घोषित किया। ऐतिहासिक कार्य के बाद ही इसेम्बली ने सभी सदस्य देशों से अपील की, वे इस घोषणा का प्रचार-प्रसार करें और देशों अथवा प्रदेशों की राजनैतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किये बिना, विशेषतः स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थानों में इसके प्रचार, प्रदर्शन पठन औार व्याख्या का प्रबन्ध करें।इसी घोषणा का सरकारी पाठ सँयुक्त राष्ट्रों की इन पाँच भाषाओं में प्राप्य है, अंग्रेज़ी, चीनी, फ्राँसीसी, रूसी और स्पेनिश। अनुवाद का जो पाठ यहाँ दिया गया है, वह भारत सरकार द्वारा स्वीकृत है।
प्रस्तावना
चूँकि मानव परिवारों के सभी सदस्यों की जन्मजात प्रतिष्ठा तथा अविच्छिन्न अधिकार की स्वीकृति ही विश्व-शान्ति, न्याय और स्वतंत्रता की बुनियाद है। चूँकि मानवाधिकारों की अवहेलना और घृणा के फलस्वरूप ऐसे बर्बर कार्य हुए जिनसे मनुष्य की अन्तर्भावना उत्पीड़ित हुयी है, चूँकि ऐसी विश्व-व्यवस्था की उस स्थापना को जिसमें लोगों को अभिव्यक्ति और धर्म की स्वतंत्रता तथ भय और अभाव से मुक्ति मिलेगी, जनसाधारण के लिए सर्वोच्च आकांक्षा घोषित की गयी है। चूँकि अगर अन्यायमुक्त शासन और जु़ल्म के विरुद्ध लोगों को विद्रोह करने के लिए उसे अन्तिम उपाय समझ कर मजबूर नहीं हो जाना है तो कानून के शासन द्वारा मानवाधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है। चूँकि राष्ट्रों के बीच मैत्री संबंधों का बढ़ाना आवश्यक हैं चूँकि संँयुक्त राष्ट्रों के सदस्य देशों की जनता के बुनियादी मानवाधिकारों में मानव व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा और योग्यता में और नर-नारियों के समान अधिकारों में अपने विश्वास को चार्टर में दोहराया गया है और यह निश्चित किया गया है कि अधिक व्यापक स्वतंत्रता के लिए सामाजिक प्रगति एवं जीवन यापन के बेहतर स्तर को प्रोन्नत किया जाये।चूँकि सदस्य देशों ने यह प्रतिज्ञा की है कि वे सँयुक्त राष्ट्र के सहयोग से मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रताओं के प्रति सार्वभौम सम्मान की वृद्धि करेंगे।चूँकि इस प्रतिज्ञा को पूरी तरह से निभाने के लिए इन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का स्वरूप ठीक-ठीक समझना सबसे अधिक ज़रूरी है, इसलिए अब महासभा घोषित करती है कि मानवाधिकारों की यह सार्वभौम घोषणा सभी देशों और सभी लोगों की साझा उपलब्धि है कि जिसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति और समाज का प्रत्येक अंग इस घोषणा को निरन्तर दृष्टि में रखते हुए शिक्षण और शिक्षा के द्वारा प्रयास करेगा कि इन अधिकारों और स्वतंत्रताओं के प्रति सम्मान की भावना प्रवर्तित हो और उत्तरोत्तर ऐसे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय उपाय किये जायें जिनसे सदस्य देशों की जनता उनके द्वारा अधिकृत राज्य क्षेत्रों की जनता इन अधिकारों की सार्वभौम और प्रभावोत्पादक स्वीकृति दे और उनका पालन कराये।
अनुच्छेद-1
प्रतिष्ठा और अधिकारों की दृष्टि से समस्त मानव प्राणी स्वतंत्र एवं समान पैदा हुए हैं। वे तर्क तथा विवेक से सम्पन्न हैं और उन्हें एक-दूसरे के साथ मातृभाव से पेश आना चाहिए।
अनुच्छेद-2
इस घोषणा में सन्निहित समस्त अधिकारों और स्वतंत्रताओं को नस्ल, वर्ण, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य सामाजिक मूल, सम्पत्ति, जन्म तथा अन्य स्थिति जैसे किसी भी भेदभाव के बिना प्रत्येक व्यक्ति प्राप्त करने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति जिस किसी भी देश या राज्यक्षेत्र का रहने वाला हो उसका उसके देश के राजनीतिक अथवा अधिकार क्षेत्रीय या उसकी अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा, चाहें वह देश स्वाधीन, न्यासाधीन, गैर-स्वशासित अथवा प्रभुसत्ता के किसी अन्य प्रतिबंध के अधीन आता हो।अनुच्छेद-3प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वाधीनता और व्यक्तिक सुरक्षा का अधिकार है।
अनुच्छेद-4
किसी को भी गुलामी या बेगारी की स्थिति में नहीं रखा जायेगा, दासता और दास व्यापार अपने सभी प्रकारों में प्रतिबंधित होगा।
अनुच्छेद-5
किसी को भी शारीरिक यातना या उसके साथ क्रूर, अमानवीय अथवा अपमानजनक बर्ताव नहीं किया जायेगा और न किसी को अमानुषिक दण्ड दिया जायेगा।
अनुच्छेद-6
हर किसी को हर कहीं कानून की दृष्टि में व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने का अधिकार है।
अनुच्छेद-7
कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं तथा किसी भी प्रकार के भेदभाव बिना कानून का संरक्षण प्रत्येक को प्राप्त है। इस घोषणा का उल्लंघन करते हुए यदि कोई भेदभाव किया जाता है या भेदभाव करने के लिए प्रेरित किया जाता है तो उसके विरुद्ध समान संरक्षण का अधिकार सबको प्राप्त है।
अनुच्छेद-8
संविधान या कानून द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को सक्षम राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल से प्रभावी समाधान प्राप्त करने का अधिकार है।
अनुच्छेद-9
किसी भी व्यक्ति को निरंकुश तरीके से गिरफ्तार, नज़रबंद नहीं किया जा सकता या देश निकाला नहीं दिया जा सकता।
अनुच्छेद-10
प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से पूर्णरूपेण अधिकार है कि उसके अधिकारों और कर्तव्यों को निश्चित करने के सम्बन्ध में और उस पर आरोपित फौजदारी के किसी मामले में उसकी सुनवायी न्यायोचित् एवं सार्वजनिक रूप से स्वतंत्र तथा निष्पक्ष न्यायालय द्वारा की जाये।अनुच्छेद-11
1.प्रत्येक व्यक्ति जो दण्डनीय अपराध से आरोपित किया गया है उसे उस समय तक निर्देश माने जाने का अधिकार होगा जब तक उसे सार्वजनिक सुनवायी के बाद अदालत द्वारा, जहाँ उसे अपनी सफाई पेश करनी की सभी आवश्यक सुविधायें मुहय्या करायी गईं हों, कानून के अनुसार दोषी न सिद्ध कर दिया जाये।
2.किसी भी व्यक्ति को ऐसा कार्य करने या न करने के लिए अपराधी नहीं माना जायेगा जो उस समय किया या न किया गया होगा जब राष्ट्रीय अथा अन्तर्राष्ट्रीय कानून के तहत वह दण्डनीय अपराध नहीं माना जाता था औार न उससे अधिक भारी दण्ड दिया जायेगा जो उस समय दिया जाता जब वह दण्डनीय अपराध किया गया था।
अनुच्छेद-12
किसी भी व्यक्ति के परिवार, उसके घर या पत्र व्यवहार की एकान्तता (प्राइवेसी) के साथ मनमाने ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा, और न उसके सम्मान तथा प्रतिष्ठा पर आक्षेप किया जायेगा। इस प्रकार के हस्तक्षेप या हमलों के विरुद्ध व्यक्ति को कानूनी बचाव का अधिकार प्राप्त है।
अनुच्छेद-13
1.प्रत्येक व्यक्ति को हर राज्य की सीमाओं के अंदर आवागमन और आवास की स्वतंत्रता प्राप्त है।
2.प्रत्येक व्यक्ति को अपने सहित किसी भी देश को छोड़ने तथा अपने देश वापस लौटने की स्वतंत्रता है।
अनुच्छेद-14
1.उत्पीड़न किये जाने की स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को अन्य देशों में शरण लेने का अधिकार है।
2.इस अधिकार का सहयोग विशुद्धतया गैर-राजनीतिक अपराधों या संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धान्तों के विरुद्ध किये गए कृत्यों से उत्पन्न अभियोजनों के सम्बन्ध में नहीं किया जा सकता।अनुच्छेद-15
1.प्रत्येक व्यक्ति को एक राष्ट्रीयता का अधिकार है।
2.किसी भी व्यक्ति के मनमाने ढंग से उसकी राष्ट्रीयता से खारिज नहीं किया जा सकता और न उसे राष्ट्रीयता बदलने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
अनुच्छेद-16
1.वयस्क पुरुषों और स्त्रियों को, नस्ल, राष्ट्रीयता या धर्म के आधार पर किसीर पाबंदी के बिना आपस में विवाह करने और परिवार बनाने का अधिकार है। उन्हें विवाह के सम्बन्ध में, विवाह के दौरान तथा विवाह को भंग करने के पूर्ण अधिकार है।
2.विवाह केवल अभिलाषी युवक और युवती की स्वतंत्र और पूर्ण सहमति पर ही किया जा सकता है।
3.परिवार समाज की स्वाभाविक एवं बुनियादी ग्रुप इकाई है अतएव उसे समाज तथा राज्य से संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार है।
अनुच्छेद-17
1.प्रत्येक व्यक्ति को अकेले तथा अन्यों के साथ मिलकर सम्पत्ति के सवामित्व का अधिकार है।
2.किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से उसकी सम्पत्ति के स्वामित्व से बेदखल नहीं किया जा सकता।
अनुच्छेद-18
प्रत्येक व्यक्ति को विचार, सोच और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है। इस अधिकार में अपना धर्म या मत बदलने की स्वतंत्रता, अकेले या समुदाय में अन्य लोगों के साथ सामूहिक रूप से उपदेश, आचरण, उपासना और अनुपालन द्वारा अपने धर्म या मत को मानने की स्वतंत्रता शामिल है।
अनुच्छेद-19
प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी विचार को अपनाने और उसे व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होने का अधिकार है। इस अधिकार में किसी हस्तक्षेप के बिना मत अपनाने तथा बिना किन्ही सीमाओं के सूचना औज्ञर विचार ग्रहण करने, खोजने और प्रचारित करने की स्वतंत्रता शामिल है।
अनुच्छेद-20
1.प्रत्येक व्यक्ति को शांतिपूर्ण ढंग से सभा आयोजित करने संघबद्ध होने की स्वतंत्रता का अधिकार है।
2.किसी को भी संघविशेष का सदस्य बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
अनुच्छेद-21
1.प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की सरकार में, प्रत्यक्ष या स्वतंत्र रूप से चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से भाग लेने का अधिकार है।
2.प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की लोक सेवा में समानता के आधार पर प्रवेश करने का अधिकार है।
3.सरकार की सत्ता जनता की इच्छा पर ही टिकी होगी, इस इच्छा का प्रकटन नियतकालिक एवं यथार्थ रूप से वास्तविक चुनावों में होगा जो सार्वजनिक तथा समान मताधिकार के आधार पर गुप्त मतदान या इसी के समान किसी अन्य स्वतंत्र मतदान प्रक्रिया से कराये जायेंगे।
अनुच्छेद-22
समाज के सदस्य के नाते प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा पाने का अधिकार है और वह राष्ट्रीय प्रयासों एवं अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से तथा प्रत्येक राज्य के संगठन और संसाधनों के अनुरूप अपनी प्रतिष्ठा तथा अपने व्यक्तित्व के स्वतंत्र विकास के लिए अपरिहार्य आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों का पात्र है।
अनुच्छेद-23
1.प्रत्येक व्यक्ति को काम करने, अपनी पसंद के अनुसार रोज़गार चुनने, न्यायोचित तथा अनुकूल परिस्थितियों में काम करने एवं बेरोज़गारी से संरक्षण पाने का अधिकार है।
2.प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के समान काम करने के लिए समान वेतन का अधिकार है।
3.काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इतना न्यायोचित् एवं अनुकूल पारिश्रमिक प्राप्त करने का अधिकार है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वह अपने तथा अपने परिवार के लिए मानव प्रतिष्ठा के अनुकूल आजीविका की व्यवस्था कर सकेगा तथा आवश्यक होने पर सामाजिक संरक्षण के अन्य साधनों द्वारा उसकी पूर्ति हो सकेगी।
4.प्रत्येक व्यक्ति को अपने हितों की रक्षा करने के लिए श्रमजीवी संघ बनाने और उसमे शामिल होने का अधिकार है।
अनुच्छेद-24
प्रत्येक व्यक्ति को विश्राम और फुरसत के क्षण बिताने का अधिकार है जिसमें कार्यावधि या काम के घंटों की यथोचित् सीमा तथा नियतकालिक सवेतन अवकाश शामिल है।
अनुच्छेद-25
1.प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवन स्तर का अधिकार है जो उसके परिवार के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए उपयुक्त हो जिसमें खाघ परिधान, आवास और चिकित्सा व्यवस्था और आवश्यक सामाजिक सेवायें और बेरोज़गारी, बीमारी, अपंगता, वैधव्य, वृद्धावस्था या अपने देश से बाहर परिस्थितियों में आजीविका के साधन लुप्त हो जाने की स्थिति में संरक्षण के अधिकार शामिल हैं।
2.जच्चा और बच्चा विशेष देखभाल तथा सहायता के हकदार हैं। सभी बच्चों को, चाहें वह विवाहिता से या अविवाहिता से उत्पन्न हुए हों, उन्हें समान सामाजिक संरक्षण प्राप्त होंगे।
अनुच्छेद-26
1.प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। कम से कम प्रारम्भिक और बुनियादी चरणों में शिक्षा निःशुल्क होगी। प्रारम्भिक शिक्षा अनिवार्य होगी। तकनीकी और वयासायिक शिक्षा सामान्य तौर पर उपलब्ध रहेगी तथा उच्चतर शिक्षा योग्यता के आधार पर सबकी पहुँच के अन्दर होगी।
2.शिक्षा का उद्देश्य मानव व्यक्तित्व के पूर्ण विकास तथा मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रताओं के प्रति सम्मान को सुदृढ करना होगा। यह सभी राष्ट्रों एवं धार्मिक ग्रुपों के बीच सद्भावना को प्रवर्तित करेगी औार शान्ति बनाये रखने सम्बन्धी सँयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों को बढ़ावा देगी।
3.अपने बच्चों को किस तरह की शिक्षा दिलानी है, यह निश्चित करने का अधिकार अभिभावकों को होगा।
अनुच्छेद-27
1.प्रत्येक व्यक्ति को मुक्त रूप से समुदाय के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने, कलाओं का आनन्द उठाने और इसके वैज्ञानिक उन्नयन तथा उससे हुए लाभों का उपभोग करने का अधिकार है।
2.प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी ऐसी वैज्ञानिक, साहित्यिक या कलात्मक कृति से संबद्ध नैतिक तथा आर्थिक हितों की रक्षा का अधिकार है जिसकी रचना उसने स्वयं की हो।
अनुच्छेद-28
प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सामाजिक और अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था का अधिकार है जिसमें इस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों और स्वतंत्रताओं को पूर्णरूप से प्राप्त किया जा सके।
अनुच्छेद-29
1.प्रत्येक व्यक्ति का उस समुदाय के प्रति दायित्व है जिसमें रहकर उसके व्यक्तित्व का स्वतंत्र और पूर्ण विकास संभव हो सकता है।
2.अपने अधिकारों और स्वतंत्रताओं का प्रयोग करते हुए एक व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित उन सीमाओ से बंधा रहेगा जिनका एकमात्र उद्देश्य अन्यों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं को उचित पहचान औज्ञर मान्यता देना तथा नैतिकता, सार्वजनिक व्यवस्था और सर्वसाधारण के कल्याण की न्यायसंगत आवश्यकताओं को पूरा करना है।
3.इन अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उपयोग किसी भी स्थिति में सँयुक्त राष्ट्र के सिद्धान्तों और उद्देश्यों के विरुद्ध नहीं किया जायेगा।
अनुच्छेद-30
इस घोषण के किसी भी अंश का यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि किसी देश, ग्रुप या व्यक्ति को इसमें प्रदत्त किसी भी अधिकार या स्वतंत्रता को समाप्त करने के उद्देश्य से कोई भी कार्य करने का अधिकार मिल जाता है।
सँयुक्त राष्ट्र सूचना केन्द्र,
55 लोधी एस्टेट,
नई दिल्ली-110003.
विश्व मानवाधिकार परिषद्’’ से क्यों जुड़ें ?
1.आम लोगों की मदद के लिए निःस्वार्थ कार्य करना ।
2.अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने एवं और आम लोगों को जागरुक करने के लिए उनको जानकारी देना।
3.मनुष्य स्मिता को बढ़ाने, विश्व निर्माण में योगदान देने के लिए कार्य करना।
4.अन्याय, अव्यवस्था, शोषण, अराजकता, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, जातिवाद के विरुद्ध आवाज़ उठाना।
5.अधिक से अधिक लोगों से परिचय और सम्बन्ध बनाने के लिए आम जनता को जागरूक होना ।
6.सम्मानजनक स्थिति और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कार्य करना।
7.कानून व्यवस्था को मज़बूत बनाने में शासन प्रशासन को सहयोग करने के लिए कार्य करना।
8.समाज में अधिक से अधिक दयाभाव को बढ़ाने और समाज को बेहतर बनाने के लिए आगे से आगे कदम उठाए।
हमारा उद्देश्य
1.देश के नागरिकों को एकजुट एंव जागरूक करना।
2.देश के नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना एवं उनके मान-सम्मान की सुरक्षा करना।
3.देश के नागरिकों को शैक्षिक, सामाजिक रूप से शक्तिशाली बनाना।
4.नागरिकों के समस्त संवैधानिक अधिकारों के प्रति नागरिकों को जागरुक करना।
5.शासन, प्रशासन एवं पुलिस के साथ सामंजस्य स्थापित कर भ्रष्टाचार एवं अपराधों को रोकने में उनका सहयोग करना एवं पीड़ितों को न्याय दिलाना।
6.समस्त जनसाधारण का सामाजिक नैतिक, चारित्रिक व बौद्धिक, आध्यात्मिक विकास करना एवं लोगों में द्वेष प्रेम एवं वैचारिक सामन्जस्य का विकास करना।
7.भारतीय संविधान में प्रदत्त सामाजिक न्याय और आर्थिक उत्थान के लिए प्रयास करना।
8.भ्रष्टाचार, आतंकवाद, महिला हिंसा, बाल श्रम, शोषण, अव्यवस्था आदि वर्तमान ज्वलन्त समस्याओं के निवारण हेतु सरकारी-अर्द्धसरकारी संस्थाओं के सहयोग से उन्हें दूर करने का प्रयास करना।
9.मानवाधिकारों की जानकारी के लिए आम जनता को जागरूक करने एवं मानवाधिकार संरक्षण के प्रचार-प्रसार हेतु पत्र-पत्रिका का प्रकाशन करना एवं समय-समय पर सेमिनार एवं विचार गोष्ठियों का आयोजन करना।
10.शासन-प्रशासन के साथ सहयोग स्थापित कर अपराध व शोषण रोकने का प्रयास करना।
11.भारत सरकार द्वारा पारित मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम-1993 का जन-जन में प्रचार-प्रसार करना जिससे आम आदमी उसका लाभ प्राप्त कर सके।
12.विश्व मानवाधिकार परिषद् की राष्ट्रीय, ज़ोन-नॉर्थ, ईस्ट, वेस्ट, साउथ, प्रदेश, मण्डल, जिला, तहसील, ब्लॉक, नगर स्तर पर टीम गठित करके संचालन करना एवं इसी प्रकार समस्त प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी भी होगी (-अल्पसंख्यक, प्रकोष्ठ विधि प्रकोष्ठ, महिला प्रकोष्ठ, यूथ प्रकोष्ठ, सूचना आर0टी0आई0 प्रकोष्ठ ओ0बी0सी0 एंव एस0सी0/एस0टी0 प्रकोष्ठ ) आदि का गठन करना।
क्या कहता है मानवाधिकार।
विश्व मानवाधिकार परिषद मुख्य उददेश्य है कि दूसरों के साथ कभी भी वह व्यवहार न करें जो आपको स्वयं के साथ किया जाना पसन्द न हो।अपने अधिकारों को जानें और दूसरों को भी जागरूक करें। मानवाधिकार के संरक्षण के लिए अग्रणी भूमिका निभायें। विश्व मानवाधिकार परिषद से जुड़कर मानव अधिकार एवं विधिक सहायता केन्द्र प्रारम्भ करें और शोषण, असमानता तथा उत्पीड़न के विरुद्ध सशक्त आवाज़ बनें।याद रखें मानव अधिकार का उल्लंघन न केवल किसी व्यक्ति विशेष बल्कि पूरे परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास को अवरुद्ध करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सम्पूर्ण विश्व में मानव अधिकारों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की। इस सम्बन्ध में घोषित चार्टर को विश्व के लगभग सभी देशों का समर्थन प्राप्त है। भारत में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन आम लोगों की जागरुकता के अभाव में मानवाधिकारों की रक्षा का कोई भी प्रयास बेईमानी है।विश्व मानवाधिकार परिषद विविध सरकारी विभागों, निकायों, विधिव्यक्ताओं, शिक्षाविदों, जागरुक नागरिकों तथा आम लोगों से सामान्जस्य स्थापित कर और उनका सहयोग लेकर इस दिशा में में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। मानवाधिकारों के प्रति यदि आप जागरुक हैं साथ ही उत्साही भी तो हमें बस आपकी प्रतिक्षा है।
मानवाधिकार हनन के प्रमुख मामले
महिला उत्पीड़न,दहेज,दहेज हत्या,दूसरी शादी,श्रमिक शोषण,बाल श्रम,सम्प्रदायिक हिंसा,कैदियों का उत्पीड़न,झूठे मामले,गैर कानूनी कार्य, पुलिस कार्य में विफलता,भुखमरी,एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं करना,ठेकेदारी में बेइमानी,बलात्कार,बिना सूचना नौकरी से निकाल देना,फर्ज़ी मुठभेड़,मजदूरी कराकर पैसे न देना,
ऐसे या इस प्रकार के किसी भी मामले की सूचना प्राप्ति पर विश्व मानवाधिकार परिषद द्वारा आगे बढ़कर कदम उठाये जाते हैं। सम्बद्ध सरकारी अधिकारियों, विभागों व निकायों के संज्ञान में मामले को लाने के साथ ही पीड़ित अथवा पीड़िता को न्यायिक उपचार व क्षतिपूर्ति दिलाना भी हमारी प्राथमिकता में सर्वोच्च है।
सरकार या सरकारी विभागों/अधिकारियों के विरुद्ध जनहित याचिका
आम जनता को यह अधिकार प्राप्त है कि सुविधाओं के अभाव जैसे विद्युत आपूर्ति, जलापूर्ति, परिवहन व्यवस्था, रेलवे, खराब सड़क, सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार, चिकित्सा सुविधा, शिक्षा सुविधा, सरकारी अधिकारियों-विभागों द्वारा लापरवाही, पुलिस हिरासत में मृत्यु, कैदियों की सुरक्षा, जेल सुधार, पुलिस उत्पीड़न, अनुसूचित जाति-जनजातियों के विरुद्ध अत्याचार, न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन, सूचना अधिकार, कानून, मनरेगा, प्रदूषण, कल्याण योजनाओं के क्रियान्वन में लापरवाही, मौलिक अधिकारों का हनन, रैगिंग आदि के सम्बन्ध में कोई भी नागरिक न्यायिक उपचार पाने का अधिकारी है। यह उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालयों में जनहित याचिका (निशुल्क एवं सशुल्क) के रूप में भी सम्भव है।
करो स्वीकार : सभी का मानवाधिकार
आगे बढ़े। अपने अधिकारों को जानें और आम जनता को जागरुक करे।
केन्द्र व राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों की अवहेलना।
हमारे आस-पास प्रतिदिन ऐसी घटनायें घटती हैं जो केन्द्र एवं राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन है लेकिन जागरुकता एवं जानकारी के अभाव के कारण लोग मूकदर्शक बने रहते हैं। सरकार की अनेक लाभकारी एवं कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी तो आम लोगों को है भी नहीं जबकि इसमें से अनेक गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों पीड़ितो, वंचितों, हरिजनों, अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों तथा अनुसूचित जाति जनजाति के लिए विशेष रूप से तैयार तथा क्रियान्वित की गयी हैं।
उदाहरण :-
1.गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग गाय भैंस बकरी आदि जानवरों के पालन के लिए ग्रामीण बैंक से 33 प्रतिशत अनुदान पर ऋण लें।
2.खेतों में फूल-फल औषधि की खेती व बागबानी के लिए 50 से 80 प्रतिशत अनुदान के साथ किसान ऋण प्राप्त करें।
3.मधुमक्खी पालन, मछली पालन सब्जी की खेती के लिए 50 प्रतिशत का अनुदान।
4.मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 5000 रुपये की सहायता राशि।
5.अर्न्तजातीय विवाह करने पर 25000 हजार रुपये की प्रोत्साहन सह सहायता राशि।
6.M.V.ACT की RUN AND GO योजना में धारा 161 के तहत अज्ञात वाहन से दुर्घटना होने पर 25000 रूपये का मुआवजा।
7.सूखा, भूकम्प, अग्नि, बाढ़, हिमपात, बादल फटने, कीट आक्रमण, वज्रपात, निर्दोष हत्या, पानी में डूबकर मृत्यु,इसके अतिरिक्त, विद्युत दुर्घटना, वाहन दुर्घटना, भवन दुर्घटना, साम्प्रदायिक हिंसा, चिकित्सा में लापरवाही, रेल दुर्घटना, शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना, जैसी स्थितियों में पीड़ित/पीड़िता व्यक्ति एवं पक्ष, न्यायिक उपचार तथा क्षतिपूर्ति/मुआवजा हिंसा, चुनावी हिंसा, जीव जन्तु तथा कीड़े-मकोड़े के काटने से मृत्यु, गलत प्रश्नपत्र तथा देर से परीक्षा होने की स्थिति में भी बात लागू होती है।
अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न एवं उपचार।
अखाद्य या घृणात्मक पदार्थ खिलाना या पिलाना क्षति पहुँचाना, अपमानित करना, क्षुब्ध करना अनादरसूचक कार्य, अवैध कब्ज़ा बेगार, बलात्कार बन्धुवा मजदूरी, मतदान के अधिकार से वंचित करना, झूठा द्वेषपूर्ण तथा तंग करने वाले मामले में झूठी गवाही, सरकारी तंत्र के हाथों उत्पीड़न, शारीरिक और मानसिक निर्योग्यता, हत्या, मृत्यु, नरसंहार, सामूहिक बलात्कार, घर जला देना, जैसे मामलों पर सरकार, जिला कल्याण पदाधिकारी के माध्यम से 25000 रुपये से 2 लाख रुपये तक पीड़ितों को क्षतिपूर्ति राशि देती है। अनुसूचित जाति/जनजाति का मकान जलने पर इंदिरा आवास मिलता है।विश्व मानवाधिकार परिषद ने अब तक पूरे देश में अनेक मामलों को संज्ञान में लेकर प्रभावी कदम उठाये हैं जिसका सीधा लाभ पीड़ित पक्ष को मिला है।यदि आपको न्यायिक सहायता अथवा इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार के सहयोग की जरूरत हो तो आपका स्वागत है। इसके साथ ही विधिक सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के वैसे अनेक निर्णयों की जानकारी आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं जो अपने क्षेत्र में मील का पत्थर बनें। सम्भव है कि उनमें से कोई, आपके संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण हो।इसके साथ ही, यदि मानवाधिकारों के प्रति आपमें श्रद्धा है और आप जागरुक बनकर न केवल समाज को दिशा देना चाहते हैं बल्कि अपने कैरियर को भी एक नयी ऊँचाई देना चाहते हैं तो साथ आयें। शिक्षाविद्, बुद्धिजीवी और अधिवक्तागण भी इस सन्दर्भ में सम्पर्क करें।
विश्व मानवाधिकार परिषद जनसम्पर्क प्रकोष्ठ द्वारा जारी ।
अपना अधिकार जानें और और आम जनता को जागरुक करे।
एक का अधिकार, दूसरे का कर्तव्य है।
हमारी माँगें
1.माध्यमिक शिक्षा के स्तर से ही मानवाधिकार को एक पृथक विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये।
2.सभी लोगों को उनके कानूनी अधिकारों से परिचित कराने के लिए व्यापक जागरुकता अभियान चलाया जाये।
3.राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन की तरह विधवा एवं परित्यक्तता महिलाओं को पेंशन देने के लिए न केवल प्रभावी योजना बनायी जाये बल्कि, उसे सही तरीके से कार्यान्वित भी किया जाये।
4.प्रतिष्ठित एवं निजी अस्पतालों में गरीबों को स्थान देते हुए उनकी चिकित्सा की सुनिश्चित व्यवस्था की जाये।
5.प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों में गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें स्थान दिया जाये।
6.महिला उत्पीड़न, दहेज आदि मामलों में सख्त से सख्त कार्यवाही सुनिश्चित हो।
बेरोजगारी तथा गरीबी,
अनेकानेक अपराधों की जड़ में कहीं-न-कहीं मौजूद है।
आप अपने सामर्थ्य के अनुसार, लोगों की गरीबी दूर करें।
अपनी गरीबी दूर करें।
स्वयं को रोजगार दें.... लोगों को रोजगार दें।
यही समयानुकूल तथा सही कदम है।
करो स्वीकार : सभी का मानवाधिकार।
विश्व मानवाधिकार परिषद में आपका स्वागत है।
आपको जानकर खुशी होगी कि विश्व मानवाधिकार परिषद की टीम लगातार समाज से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य करेगी जिसमें प्रमुख है
1.सामाजिक बुराईयों के खि़लाफ़ पहल करना और उनके खि़लाफ़ आवाज़ उठाना तथा पीड़ितों को बुराइयों से निज़ात दिलाना।
2.बाल व बन्धुआ मज़दूरी के अत्याचार से मुक्ति दिलाना।
3.बच्चों, महिलाओं तथा बुज़ुर्गों की रक्षा के लिये काम करना।
4.समाज के लिए योगदान करने वाली हस्तियों को समय-समय पर पुरष्कृत करके उनका सम्मान करना।
5.समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ मिलकर विभिन्न कार्यकर्मों का आयोजन करना।
6.जनता तथा पुलिस के बीच में सहयोग का पुल बनाना तथा पीड़ितों को न्याय दिलाना।
7.भ्रूण हत्या पर हर सम्भव रोक लगाना व उनके खि़लाफ़ आवाज़ उठाना।
8.हर वर्ग के कमज़ोर व्यक्तियों को समाज में न्याय दिलाना।
9.समाज के सभी गरीब बच्चों महिलाओं बुजुर्गो व विकलांग व्यक्तियों के लिए समान शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ जाश्च कैम्प लगाना और दवाइयां उपलब्ध कराना।10.विश्व मानवाधिकार परिषद की समाज के हर व्यक्ति से अपील है कि आईये हम सब मिलकर समाज सेवा का हिस्सा बनें और समाज को अपराधमुक्त बनाने में सहयोग करें।
11.विश्व मानवाधिकार परिषद संगठन की टीम आम जनता की हर समय निःस्वार्थ भाव से सेवा में तत्पर है और आम जनता के सहयोग के साथ काम करेंगे।
12. विश्व मानवाधिकार परिषद का हर सम्भव प्रयास रहेगा कि हर वर्ग समाज में व्याप्त भय एवं भूख से मुक्त होकर सुख शान्ति और सम्मान के साथ जीवन बिता सके यही मानवाधिकार है।
विश्व मानवाधिकार परिषद एक परिचय :
विश्व मानवाधिकार परिषद एक सामाजिक ट्रस्ट है जिसका पंजीकरण भारतीय न्यास अधिनियम 1882 के अन्तर्गत पंजीकृत किया गया है। यह एक ग़ैर-सरकारी, ग़ैर-राजनैजिक राष्ट्रीय संगठन है। हमारा कार्य समाज के लोगों को जागरूक करना औऱ आम जनता के अधिकारों के हो रहे हनन औऱ समाज फैले भ्रष्टाचार को उजागार करते हुए शासन प्रसासन को अवगत करना मुख्य उद्देश्य है क्योंकि आज हमारे भारतवर्ष ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में मानव अधिकार की घटनाएं निरन्तर बढ़ती जा रही हैं जिसमें मानव उत्पीड़न, महिला उत्पीड़न, यौन शोषण एवं बाल श्रम जैसी घटनाऐं प्रमुख हैं। जेल में बन्द कैदियों की स्थित दयनीय एवं चिन्ताजनक है। देश में भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद जैसी समस्याऐं दिन पर दिन विकराल रूप धारण करती जा रही हैं।आज़ादी के 71 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज भी अधिकांश भारतवासी बेहतर शिक्षा, भोजन, स्वास्थ, आवास, शुद्ध पेयजल, न्याय, समानता और विकास जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।हमारे संविधान में जाति, धर्म, वंश मूल, लिंग, अमीरी, गरीबी, शिक्षित-अशिक्षित किसी भी प्रकार का विभेद नहीं किया गया है। संविधान में देश के प्रत्येक व्यक्ति को दैहिक एवं प्रकृतिक स्वतन्त्रता के अधिकार के साथ ही साथ गरिमामय जीवन यापन करने की भावना निहित की गयी है। इसको व्यवहारिक रूप से लाने के लिए संविधान में विधायिका, न्यायपालिका एवं कार्यपालिका की व्यवस्था की गयी है। इसी आधार पर हमारे देश का संविधान विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान माना जाता है।परन्तु विडम्बना यह है कि इसका लाभ आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिल सका है? गाँव मोहल्लों में सफाई नहीं होती, राशन की दुकान में सामान सही से नहीं मिलता, सरकारी दफ्तरों में बिना सुविधा शुल्क के काम नहीं होता, अस्पतालों में दवाईयां नहीं मिलतीं, डाक्टर नर्स मरीजों पर ध्यान नहीं देते, सड़कें टूटी फूटी हैं, ग्राम-स्तर के अधिकारी से लेकर विधायक, मंत्री तक ध्यान नहीं देते, गाँवों एवं पिछड़े इलाकों में बिजली ठीक से नहीं मिलती। इन सब समस्याओं के निराकरण के लिए हमारा संगठन प्रयासरत है तथा इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संगठन का गठन किया गया।ष्नोटष्हमारा कार्य लोगों को जागरूक करना है। हम किसी भी सरकारी योजनाओं का संचालन नहीं करते हैं। हमने किसी भी व्यक्ति को संगठन की ओर से चन्दा इकट्ठा करने को अधिकृत नहीं किया है क्योंकि संगठन किसी भी प्रकार का चन्दा नहीं लेता है। संगठन अपने सदस्यों के सहयोग से अपनी गतिविधियां संचालित करता है। अगर आप अपना कार्य किसी व्यक्ति के माध्यम से हमारे कार्यालय भेज रहे हैं तो इस बात का ध्यान रहे कि वह व्यक्ति आपका विश्वस्त हो। किसी भी तरह की जानकारी के लिए सम्पर्क करें।
मानव अधिकार एवं ग़ैर-सरकारी संगठन:
ग़ैर-सरकारी संगठन ऐसे व्यक्तिगत संगठनों को यह कहा जाता है कि जो बिना लाभ के, धार्मिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, लोकोपकारी, तकनीकी या आर्थिक उद्देश्यों से गठित होते हैं। ऐसे संगठनों में न तो कोई अन्तर-सरकारी करार होता है और न ही ये प्रत्यक्ष रूप से सरकार के साथ सहभागिता करते हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा एक प्रस्ताव 288 xफ़रवरी, 1950 को अंगीकार किया गया था जिसने परिभाषित किया कि ग़ैर-सरकारी संगठन का अर्थ है कोई ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन जो कि अन्तर-सरकारी करार द्वारा स्थापित नहीं किया जाता है । विस्तृत अर्थ में इस शब्द का प्रयोग किसी ऐसे बिना लाभ के संगठन के लिए प्रयोग किया जा सकता है जो कि सरकार से स्वतंत्र हो। ऐसे संगठनों के उदाहरण हैं अन्तर्राष्ट्रीय चैम्बर ऑफ़ कामर्स , अन्तर-संसदीय संघ फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन और महिला अन्तर्राष्ट्रीय लोकतांत्रिक परिसंघ । गैर-सरकारी संगठन या तो राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय हो सकते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित व्यक्तिगत संगठनों की सदस्यता राष्ट्रीय स्तर पर होती है तथा वे अपने उद्देश्यों को अपने संविधान में परिभाषित करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों की सदस्यता अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होती है एवं उनकी गतिविधियाँ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संपादित होती हैं। उन्हें लोक अभिरुचि समूह के सदृश्य समझा जाता है जिसका तात्पर्य है कि उनकी कार्यप्रणाली का अर्थ यह नहीं है कि वे अपने सदस्यों के हित के लिये कार्य करेंगे वरन् वे लोकहित के कार्य करेंगे।
मानव अधिकार एवं ग़ैर-सरकारी संगठन।
ग़ैर-सरकारी संगठन लगभग सभी राज्यों में स्थापित हैं। 1994 में यह आँकलित किया गया कि यूनाइटेड किंगडम में गैर-सरकारी संगठनों संख्या 275000 थी एवं ग़रीब देशों में इनकी अनुमानित संख्या 20000 है। तब से इनकी संख्या त्वरित गति से बढ़ रही है। यह अनुमानित किया गया कि 1999 में इनकी संख्या विश्व में 20 लाख थी। केवल भारत में यह अनुमानित किया गया कि उनकी संख्या 10 लाख है जो लगभग सम्पूर्ण विश्व के ग़ैर-सरकारी संगठनों की संख्या से आधी है।बहुत से ग़ैर-सरकारी संगठन मानव अधिकारों के अभिवृद्धि एवं संरक्षण के लिए स्थापित किये गये हैं। उनकी गतिविधयाँ एवं सदस्यता मुख्यतः एक ही राज्य के दायरे में होती है किन्तु कुछ मानव अधिकार से सम्बन्धित संगठन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित किये गये हैं और उनकी सदस्यता भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होती है। ऐसा समूहों के उदाहरण हैं : एमनेस्टी इंटरनेशनल ।लंदन एण्टी स्लेवरी सोसाइटी लंदन इण्टरनेशनल कमीशन ऑफ़ ज्यूरिस्ट्स जेनेवा इण्टरनेशनल लीग फ़ॉर ह्यूमन राइट्स अमेरिका इण्टरनेशनल पेन और फ्रेंच लीग फॉर द डिफेन्स ऑफ द राइट ऑफ़ मैन एण्ड ऑफ द सिटिज़न पेरिस अन्तर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों का न केवल संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ विशेष सलाहकारी स्तर का सम्बन्ध होता है बल्कि उनकी सीधी पहुँच संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार आयोग, इसके अल्पसंख्यकों के संरक्षण एवं भेदभाव निरोधक उप-आयोग, अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन एवं संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को तक होती है।
भारतवर्ष में मानवाधिकार
भारत एक मात्र ऐसा राष्ट्र है जो हमेशा से ही अमन और शांति का पुजारी रहा है और संयुक्त राष्ट्र संघ का एक सक्रिय सदस्य रहा है। इसी आधार पर भारत के संविधान में उन सभी विचारों, आदर्शों, मूल्यों, मानकों एवं शब्दावलियों का उल्लेख किया गया है जिनका संगठन मानवाधिकारों यू.एन. चार्टर में है। हमारे संविधान का भाग 3 अनुच्छेद 12 से 35 मूल अधिकार की घोषणा करता है और भाग 4 अनु. 36-51 राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन करता है। परन्तु भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के 46 वर्षों बाद तक जन प्रतिनिधियों एवं इनके सलाहकार प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान मानव संरक्षण कानून बनाने जैसे आम मुद्दों की तरफ नहीं गया। वर्ष 1993 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के प्रयास से मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया गया। हमारी गणतन्त्र सरकार ने मानवाधिकारों की रक्षा और इनके बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से सितम्बर 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन राष्ट्रपति के एक अध्यादेश द्वारा 1993 में किया गया। इसके एक वर्ष बाद ही वर्ष 1994 में एक अधिनियम पारित कर राज्यों में मानवाधिकार आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया। यह आयोग मानवाधिकारों के हनन् और उल्लंघन के मामलों की जांच स्वयं या किसी के द्वारा शिकायत किये जाने पर करता है। उत्तर प्रदेश में राज्य मानवाधिकार आयोग कार्यरत है। देश के कुछ राज्यों में इनका गठन पूरा नहीं हुआ है। राष्ट्रीयमानवाधिकार आयोग का मुख्यालय नयी दिल्ली में है। इस आयेग के अध्यक्ष पद पर मा. सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया गया है तथा अन्य सदस्य होते हैं।मानवाधिकार का हनन् मानव द्वारा ही किया जाता है चाहे वह व्यक्ति दबंग हो या सरकारी लोकसेवक। इसमें विभाग या कुर्सी से कोई मतलब नहीं होता। उत्पीड़नकर्ता चाहे कितनी ही उच्च या सशक्त पद पर हो परिवार में उसकी हैसियत पर साधारण अभियुक्त जैसी ही होती है तथा उसे व्यक्तिगत तौर पर न्यायालय प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उस समय उसे मानव उत्पीड़न का एहसास हो जाता है।
सदस्यों के लिए नियम एवं उपनियम
1.विश्व मानवाधिकार परिषद के सभी कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी संगठन में स्वयंसेवी के रूप में कार्य करेंगे इसके लिये किसी भी प्रकार की राशि देय नहीं है।
2.सदस्यता अहस्तानांतरणीय है। सदस्यता शुल्क किसी भी स्थिति में वापस नहीं होगा।
3.पहचान पत्र की वैधता समाप्त होने पर उसे मुख्य कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है। वैधता समाप्त होने पर पहचान पत्र का नवीनीकरण सदस्यता जारी रखने कि लिए अनिवार्य है।
4.सभी सदस्यों को अपने सम्बन्धित मुख्यालय में अपने सम्बन्धित पदाधिकारियों से माह में एक बार मिलना अनिवार्य है।
5.संगठन की नीति के विरुद्ध कार्य करने पर सम्बन्धित कार्यकर्ता पदाधिकारी को संगठन ही सदस्यता से निलम्बित किया जा सकता है।6.किसी भी प्रकार की शंका सवाल या जानकारी के लिए विश्व मानवाधिकार परिषद के कार्यालय से भी सम्पर्क कर सकते हैं।
7.विश्व मानवाधिकार परिषद के घोषित उद्देश्यों को प्रभावी ढ़ंग से कार्यान्वित करने कि लिए यह आवश्यक है कि राष्ट्रीय के अलावा राज्य व ज़िला स्तर पर अनिवार्य रूप से किया जाये।
सदस्यता के लिये नियम
1.मैं स्वेच्छापूर्वक विश्व मानवाधिकार परिषद के उन सभी नियमें को स्वीकार करता हूँ/करती हूँ जो व्यक्तियों के नागरिक, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा संवैधानिक अधिकरों की रक्षा करते हैं।
2.मैं उन सभी शक्तियों का विरोध करूंगा/करूंगी जो किसी भी व्यक्ति का ग़ैरकानूनी प्रकार से उत्पीड़न करते हैं।
3.मैं विश्व मानवाधिकार परिषद की सदस्यता ग्रहण करने के उपरान्त सभी उद्देश्यों की पूर्ति एवं मानव अधिकार के संरक्षण हेतु निःस्वार्थ कार्य करूंगा/करूंगी।
4.मैं अपने कार्यों में पारदर्शिता तथा विश्व मानवाधिकार परिषद के लिए उत्तरदायी होने का पूर्ण निर्वाह करूंगा/करूंगी।
5.मैं समाज के अवांछनीय, असामाजिक तथा अपराधिक मामलों पर ध्यान दिया करूंगा/करूंगी।
6.मैं विश्व मानवाधिकार परिषद के कार्यों और बैठकों में हिस्सा लूंगा/लूंगी तथा दिये गये कार्यभार एवं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संविधान-सम्मत रूप से दिये गये कार्योेे को स्वीकार करूंगा/करूंगी।
7.मैं विश्व मानवाधिकार परिषद के उद्देश्यों के विपरीत कोई भी कार्यवाही नहीं करूंगा/करूंगी। यदि मैं उद्देश्यों की अवहेलना करता पाया जाऊँ तो मेरी सदस्यता बिना कोई सूचना दिये तुरन्त समाप्त कर दी जाए।
8.विश्व मानवाधिकार परिषद की सदस्यता प्राप्त कर मैं भी उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल होना चाहता हूँ/चाहती हूँ जिन्हें आपके सम्मानीय विश्व मानवाधिकार परिषद के सदस्य होने का गौरव प्राप्त है।